तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में चुने जाने वालों के लिए मूल जिले में 15 साल तक ठहराव की बंदिश नहीं रहेगी।
जयपुर.तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में चुने जाने वालों के लिए मूल जिले में 15 साल तक ठहराव की बंदिश नहीं रहेगी। हालांकि शिक्षा और पंचायती राज विभाग का मानना है कि ये नियम लागू करने से महिलाओं के लिए खासी परेशानी हो सकती है, लिहाजा कम से कम पांच साल तक ठहराव सुनिश्चित करने की योजना बनाई जा रही है।
ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने बताया कि वर्तमान भर्ती में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के लिए फिलहाल 15 साल तक ठहराव का नियम लागू नहीं किया गया है। इसे लागू करने की कवायद जरूर हुई थी, लेकिन इसे मौजूदा भर्ती नियमों से नहीं जोड़ा गया है। हालांकि इस संबंध में उच्च स्तर पर फैसले की गुंजाइश है। उनका मकसद प्रदेश के दूरदराज के स्कूलों में शिक्षकों का ठहराव सुनिश्चित करना है। फिर भी इसमें महिलाओं की परेशानी देखते हुए समय-सीमा कम की जाएगी।
उन्होंने बताया कि यह प्रावधान किया जा रहा है कि प्रथम नियुक्ति वाले स्थान पर कम से कम पांच साल तक एक शिक्षक जरूर सेवा दे। इस बारे में जल्द ही अंतिम फैसला कर लिया जाएगा। राज्य में प्रतिबंधित जिलों से बड़ी संख्या में शिक्षकों को दस साल से ज्यादा समय गुजरने के बावजूद तबादला नहीं होने के कारण भारी असंतोष है। ऐसे में नई नियुक्तियों की ठहराव समय-सीमा तय करने के लिए विभागीय स्तर पर प्रयास हुए, लेकिन फैसला नहीं हो सका।
भर्ती परीक्षा को लेकर कलेक्टर-सीईओ को निर्देश जारी
पंचायती राज विभाग ने शिक्षक भर्ती के संबंध में सभी कलेक्टर और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के अलावा परीक्षा नियंत्रक को दिशा-निर्देश जारी कर दिए है। विभाग की सचिव एवं आयुक्त अपर्णा अरोड़ा ने बताया कि द्वितीय स्तर पर कक्षा 6 से 8 तक के लिए 200 अंकों का पेपर होगा। इसमें विद्यालय विषय के 120 अंकों के प्रश्न पूछे जाएंगे। विषयवस्तु सैकंडरी स्तर की होगी। टेट प्रमाण-पत्र में हासिल की गई विषय विशेषज्ञता विज्ञान-गणित, सामाजिक अध्ययन के अलावा भाषा विषयों के लिए आवेदन किए जा सकेंगे। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 2 अप्रैल है।
कर रहे हैं कई आवेदन, दे सकेंगे एक ही विषय की परीक्षा
मौजूदा आवेदन प्रक्रिया में प्रदेश में कई अभ्यर्थी इस आस में एक से ज्यादा विषय के लिए अलग-अलग आवेदन कर रहे हैं कि अंतिम समय पर नियमों में फेरबदल होने पर उनके लिए ज्यादा विकल्प बने रहें। अभ्यार्थियों की पीड़ा यह है कि परीक्षा एक ही दिन, एक ही समय पर होने के कारण उनके लिए बस किसी एक विषय को चुनना ही विकल्प रह गया है। कई अभ्यार्थियों की एक से ज्यादा विषयों में अच्छी पकड़ हैं और उनके लिए विकल्प चुनना भारी परेशानी भरा साबित हो रहा है। अधिकारियों का कहना है कि परीक्षार्थी को अपनी ओर से श्रेष्ठ विषय का चुनाव कर परीक्षा देनी चाहिए। हर विषय की परीक्षा अलग-अलग दिन कराने की योजना नहीं है।
source- bhaskar
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